चार बेटे छोड़ माँ को जा चुके हैं। या पतन का रास्ता अपना चुके हैं।। कह रही 'वह' आज रिश्तों को 'पहेली'। देख! घर में एक बूढी माँ अकेली।। भार लेकर उस अभागन की खड़ी हूँ। मैं छड़ी हूँ।।
मैं छड़ी हूँ – Stick’s Experience

चार बेटे छोड़ माँ को जा चुके हैं। या पतन का रास्ता अपना चुके हैं।। कह रही 'वह' आज रिश्तों को 'पहेली'। देख! घर में एक बूढी माँ अकेली।। भार लेकर उस अभागन की खड़ी हूँ। मैं छड़ी हूँ।।
O my secret Santa! You gift me some joy My heart is a child Don't let it to cry
कल तुम्हारा वन हरा था झूमतीं आयीं बहारें आ गया सावन सुहाना साथ ले रिमझिम फुहारें आज जब पतझड़ मिला है सत्य से प्रतिकार कैसा? माँग का सिंदूर हूँ मैं बिन मेरे श्रृंगार कैसा?
कैसे कह दूँ अस्तित्व नहीं अपने पर ही स्वामित्व नहीं हर रोज थपेड़े खाना है झोंकों के पाँव दबाना है मेरा गौरव भिक्षा मांगे पवनों की इच्छा के आगे बस यही बात तड़पाती है घनघोर निराशा लाती है जग में कोई मुझसा न दीन। मैं बादल मेरा मुख मलीन।।
जब भी गीत सुनाना चाहूँ मन की बात बताना चाहूँ बुलबुल टोक मुझे देती है गाकर कोई मधुर तराना। मैं कौवा, मुझको भी गाना।।
मांग क्यों होती सुधा की चोंट खा भीषण छुधा की छीनता आहार कोई। प्यार कोई।।
किरण चली दुलारने, नए नए विहान को खगों की झुंड उड़ चली, विशाल आसमान को पुकारने लगा विहान, बाग दे रहा समय उठो तुम्हे है जागना, कि सूर्य हो गया उदय
देख गिरी दीवार, धमाका मेरा है इस प्रदेश का सीएम, काका मेरा है जुबां हिलाने से पहले यह तय कर ले मेरी है सरकार, इलाका मेरा है
जब-जब अंतर अकुलाता है भावों की धार बहाता है मैं निज छंदों से सींच-सींच स्वप्नों की फसल उगाता हूँ। कविताएँ लिखता जाता हूँ।।
न पूछ रात-रात भर यूँ जाग करके क्या मिला किसी को रौशनी मिली किसी को हौसला मिला जो सींच भाव की जमीन स्वप्न बीज बो गया ऊगा के प्रेरणा का पेड़ अंतरिक्ष हो गया जो छोड़ कर अमिट निशान व्योम में सिधारता। विचार के धनी मनुष्य को जहाँ दुलारता।।