
बस मोंम नहीं तुम ज्वाला भी ये सिद्ध आज करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
इतिहास गवाही देता है पापी समाज उन्मत्त हुआ,
तुम काली बन अवतरित हुई दुनिया को संकट मुक्त किया,
अब तुम संकट में घिरी हुई खुद ही सब कुछ करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
तुमसे जन्मा संसार सकल तुमपे आधारित प्राण सकल,
तुममे ममता की मूर्ति एक तुम आशा की विस्तार सकल,
पर रक्तबीज के अंत हेतु तुमको खप्पर धरना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
तुम चंडी हो विकराला हो तुम एक धधकती ज्वाला हो,
तुम हो चेन्नम्मा की कटार लक्ष्मीबाई की भाला हो,
उठ जाग खड़ी क्या सोच रही सबकुछ समतल करना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।
पर सावधान तेरे घर में भी नर भुजंग रहते होंगे,
रिश्तों की चादर ओढ़ सदा हित की बातें करते होंगे,
ये नर भुजंग मानवता के पथ में रोड़े अटकाएंगे,
तेरे जागृत मन भावों पर ये जहर छिडकते जायेंगे,
है साथ तेरे मानव समाज पर संभल संभल चलना होगा,
हे भारत माँ की ललनाओ तुमको दुर्गा बनना होगा ।।।
अप्रतिम रचना.
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Dhanyawad.
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वीर रस से परिपूर्ण ओजस्वी कविता
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प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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NICE ONE
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