
तुमने मुझको अपनाकर
जो प्यार दिया उपकार किया है।
लक्ष्यहीन वन-वन प्रवास का,
तप्त आंशुओं, तप्त स्वास का,
किया अंत तुमने आकर,
नव-स्फूर्ति संचार किया है,
तुमने मुझको अपनाकर
जो प्यार दिया उपकार किया है।
इस दुनिया की रंगीनी में कुछ
श्वेत-श्याम से सपने थे,
कुछ रिश्ते थे, कुछ नाते थे,
कुछ लोग यहाँ पर अपने थे,
जब मैं संकट में घिरा तभी
ये भ्रम भी यूँ ही टूट गया,
मेरे ढहते इस पर्णकुटी का
फिर से जीर्णोद्धार किया है,
तुमने मुझको अपनाकर
जो प्यार दिया उपकार किया है।
तुमको तजकर जीवन में थी
क्या प्रत्याशा, क्या आशाएं,
पूर्ण हुआ तुमको पाकर
अब कहीं नहीं है बाधाएं,
जीवन को नया विहान मिला,
मन को अद्भुत उद्गार दिया है,
तुमने मुझको अपनाकर
जो प्यार दिया उपकार किया है।
मैंने जो भी कसमें खाई,
जैसे हो उन्हें निभाऊंगा,
जो तेरा सहारा हो साथी,
कुछ तो करतब दिखलाऊंगा,
मुझको कहने दो, दो बातें,
‘मैंने तुमसे ही प्यार किया है।’
तुमने मुझको अपनाकर
जो प्यार दिया उपकार किया है।