‘जज्बा – India’s Massage To The World’

India's massage to the world

‘ वतन के काम आ जाएँ ‘,
नहीं जज्बा अगर दिल में,
फकत इक लाश है वो शख्स
फिर बाकी बचा क्या है ?.

तेरे नापाक हाथों में नहीं
हिम्मत इसे छू ले,
कि कसकर जांच ले फिर से
तिरंगे में वजन क्या है ?…

दिखा देंगे तुझे दुनिया
हमारे देश की ताकत
हमारे मुल्क की आबो हवा
फिर हौसला क्या है ?

अता करनी पड़ेगी आज
फिर कीमत तुझे बुझदिल
दिखा देंगे वतन की आरजू
फिर फैसला क्या है ?

कदम रखने से पहले
इस हकीकत को परख लेना,
हमारे मुल्क की सरहद
के आगे रास्ता क्या है ?

हमारे मुल्क ने अबतक
दिया है अमन का पैगाम,
दिखायेंगे मगर अब क्रांति
क्या है, जलजला क्या है ?

फ़कत इतिहास के पन्नो में
ना इसकी इबारत है,
हर इक जर्रा बताएगा
हमारी दास्ताँ क्या है ?

अमावस रात में तुम ढूंढने
फिर से चले हो चाँद,
नहीं तुम जान सकते
रौशनी का फलसफा क्या है?

हमारी आन है ये मुल्क
मेरी जान है इसमें
बयाँ करना बड़ा मुस्किल
हमारे दिल में क्या क्या है ?

 

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