
मन की वीणा बजती है पर सुर बेसुरा हो जाता है,
तुम बिन मेरे जीवन का हर काम अधूरा हो जाता है।
तुम क्या जानो तेरे बिन मैं कितना खोया खोया था,
आँख खुली थी पर तुम मानो दिल ये सोया सोया था।
मन आशाएं जागृत करता जब तेरी आहट पाता है,
मन की वीणा बजती है पर सुर बेसुरा हो जाता है।
जीवन के एकाकी तारों को आकर झंकृत कर जाती,
मनमंदिर में सरगम छेड़ा, ठुमरी गाती,गीत सुनाती,
तेरा ये संगीत मुझे कितना मदमाता कर जाता है,
मन की वीणा बजती है पर सुर बेसुरा हो जाता है।