
मील का मै आखिरी पत्थर जरा मुझको निहारो।
दीन-दुनिया छोड़कर ये राह तुमने ही गही थी,
लाख खाई ठोकरें पर बात मानी जो सही थी,
क्या अनोखी बात क्योकर आज तेरे पाँव डगमग,
‘मैं अडिग चट्टान हूँ’, यह बात तुमने ही कही थी,
लक्ष्य के नजदीक आ मत लौटने का पथ विचारो,
मील का मै आखिरी पत्थर जरा मुझको निहारो।
इस अपरिचित राह पर कुछ समय बीता, काल बीता,
रात बीती, दिवस गुजरा, मास फिर इक साल बीता,
ग्रीष्म, वर्षा, शीत देखे,प्रबल झंझावात देखा,
मुश्किलों से जूझते तुम, हौसलों के साथ देखा,
खड़े हो सम्मुख विजय मत धैर्य खोकर आज हारो,
मील का मै आखिरी पत्थर जरा मुझको निहारो।
सामने मंजिल खड़ी तुमको इशारे से बुलाती,
काबिले तारीफ हो तुम सिर्फ तुमको आजमाती,
एक साथी की जरुरत उसे भी होगी दीवाने,
देखकर के हौसला तेरा मधुर गुणगान गाती,
आखिरी बाधा इसे तुम रौदकर आगे पधारो,
मील का मै आखिरी पत्थर जरा मुझको निहारो।
बहुत ही सकारात्मक प्रेरणा देती रचना।
आप के रचना की गहराई ही उसकी ख़ूबसूरती है।
खूबसूरत शब्दों से सजी लाजवाब रचना।
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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Something about the poem
‘meel ka patthar’
It’s often observed, people give up their hope just before achieving their goals and miss the aim and all the hard work done in past go in vein. Here the ‘Mile stone’ personified as it’s indicates human beings that he is right on the way and just about to reach. ..
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#best motivational poem forever
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