
तेरे जाने से मौसम बदल जायेगा,
तेरे आने से हालत बिगड़ जाती है।
मेरे जख्मो की तुम अब दवा मत बनो,
खुद-ब-खुद मेरी हालत संभल जाती है।
आदतन तुम रुआंसे दिखो मत सखे,
मन की हालत मुझे सब नजर आती है।
दोनों सखियां लगी सेंकने रोटियाँ,
इक इधर खाती है इक उधर खाती है।
दोनों हाथोँ से लूटा जिसे तुम मिले,
लगता है आज सामत मेरी आती है।
कितना भी सेन्ट छिड़को सुनो जो कहा,
मोज़े की बदबू फिर भी किधर जाती है।
ठीक से थूक दो मुह में गुटका भरा,
बात कुछ भी समझ में नहीं आती है।
ये तो अच्छा हुआ चांदनी में मिले,
दांतो की तो सफेदी नजर आती है।
आज फिर हो गए लोग मुझसे ख़फ़ा,
इक हकीकत जो मुँह से निकल जाती है।
तेरे दीदार से दिल का दौरा पड़ा,
भुतनी जैसी सूरत नजर आती है।
आज मैडम ने फिर मुझको ताना कसा,
बस पडोसी की बीवी मुझे भाती है।
है अमावस का दिन चोर खुस हैं बहुत,
आज उनकी भी किस्मत चमक जाती है।
चाँद पर बाल उगने लगे खुद ब खुद,
उनकी बीवी जो पीहर चली जाती है।
Composed By
Kaushal Shukla
ATI sundar
LikeLiked by 1 person
प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
LikeLike