
ज़मीर तराशने का हुनर रखते हैं,
हम शायर हैं, इंक़लाबी जिगर रखते है।
नाक़ाम कोशिशें हुई की दिल में ना चुभे,
अल्फ़ाज की जगह वो, जहर रखते हैं।
ये अलग बात है कि समझा, तुमने मुझे पागल,
मेरे ज़ानिब भी कुछ सिरफ़िरे नजर रखते हैं।
है रोकना नामुमकिन दीवार खड़ी करके,
ये अल्फ़ाज हैं, समंदर की लहर रखते हैं।
यूँ तो बड़ा है मुश्किल कुछ वक्त निकालना,
पर यादों को समेटने का इक पहर रखते हैं।
आदमियत की झलक मिलना बड़ा मुश्किल,
ये और बात वो कुराने-फिकर रखते हैं।
lajwab ….bahut khoob
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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मैं चाहता हूँ एक बार मेरी रचनाओं को नजर कीजिये
और
मुझे पढ़ने के लिए मुझे फॉलो कीजिये
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जरूर
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खूबसूरत शब्दों के लिए धन्यवाद
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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बेहद खूबसूरत लिखतें है आप
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धन्यवाद सुशील जी, मेरी रचनाओं की खूबसूरती आप जैसे पाठकों के कारण है
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शुक्ला जी
बहुत ही अच्छा लिखा है
यदि ये आपके शब्द है तो आप तारीफ के काबिल है।
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प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद सुशील जी, यह ब्लॉग हमारी स्वरचित कृतियों का संग्रह है। इसमें हर रचना मेरी अपनी है।
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