
चार दिन की जिंदगी है,
मैं यहाँ हूँ, तुम किधर हो?
आज जो तुम बात करते
और ना कोई करेगा
आज जो तुम घात करते
और ना कोई करेगा
किन्तु फिर भी मन मेरा
उस ओर जाता तुम जिधर हो
चार दिन की जिंदगी है,
मैं यहाँ हूँ, तुम किधर हो?
चार दिन की चांदनी में
दो दिवस ऐसा निकालो
है तमन्ना तुम मुझे कुछ
स्नेह दे दो, स्नेह पा लो
खो न जाए ये उजाला
फिर अँधेरे में सफ़र हो
चार दिन की जिंदगी है,
मैं यहाँ हूँ, तुम किधर हो?