बात-बात पर गुस्सा आना
अच्छी बात नहीं होती है,
अपनों को यूँ गैर बताना
अच्छी बात नहीं होती है।
मैं तो पहले से घायल हूँ
उसपर तेरा घात सखे,
चोंट पे चोंट लगाते जाना
अच्छी बात नहीं होती है।
इक तो गर्मी का मौसम है
और भयानक लू भी है
उसपर तेरा आग लगाना
अच्छी बात नहीं होती है।
आज जभी मैं आ पहुँचा हूँ
दूर बहुत उस जीवन से
बीती बातें याद दिलाना
अच्छी बात नहीं होती है।
जो बीत गयी वो बात गयी
पर उसके पीछे सुनो प्रिये
दीवारों से सर टकराना
अच्छी बात नहीं होती है।
‘कौन, कहाँ, कैसे, कबतक,
कितना बाकी है और किधर’
इतने सारे प्रश्न उठाना
अच्छी बात नहीं होती है।
जाकर पूछो दीवारों से
उनके कुछ अरमान भी हैं
बेमतलब उनको तुड़वाना
अच्छी बात नहीं होती है।
दुनियां के दोराहे पर तो
तन्हाई है, महफ़िल भी
दोनों से ही आँख चुराना
अच्छी बात नहीं होती है।
हारोगे इक दिन तुम बाजी
जीवन ट्वेंटी-ट्वेंटी है
बात बात पर शर्त लगाना
अच्छी बात नहीं होती है।
तुमसे ही साकार हुए हैं
सपने सुखमय जीवन के
प्यार दिखाकर यूँ ठुकराना
अच्छी बात नहीं होती है।
दिल मेरा टूटा है मेरे
घाव हरे हैं देखो तो
जख्मों पर मरहम रख जाना
‘अच्छी बात यही होती है।’
कौन सुनेगा ‘कौशल’ तेरी
बातें सब बकवास ही हैं
रात-रात भर कलम चलाना
अच्छी बात नहीं होती है।
Shandaar jabarjast jindabad ..!!
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