
मुझे फरिश्ता नहीं, इंसान चाहिए,
मैं इक उजड़ा चमन हूँ, एक बागबान चाहिए।
हूँ रास्तों की जद में, मंजिल से बहुत दूर,
मुझको भी एक मुट्ठी, आसमान चाहिए।
अनजान मुकद्दर है, अंजाम की फिकर,
तुम कह रहे हो मुझको आराम चाहिए??
लहज़े में है नज़ाकत, आवाज़ में जादू ,
अब आपको क्योंकर कोई वरदान चाहिए।
कुछ यूँ भटक गया है इंसान आज का,
माँ-बाप को ठुकराया, भगवान चाहिए।
Lajwab,bemisa,bade dino bad koi accha shayar Mila…shandar rachnaye
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Waah bahut khoob likha
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TRue lines bhaiya G
Keep it up
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वाह, बहुत खूब
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Thanks for the complement…
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