मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ – I Hope You

I hope you
I hope you

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

इधर कुछ बोझ है भारी, ज़रा सा हाथ दे देना,
फ़ना हो जाएंगी सब मुश्किलें, तुम साथ दे देना,
गर्दिशों को रौंद कर मैं मुस्कुराना चाहता हूँ।

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

है अमावस रात ये, जब दूर दिखता है सवेरा,
हो तेरा गर साथ तो क्या मात दे सकता अँधेरा ?
इस अँधेरी रात में दीवा जलाना चाहता हूँ।

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

कौन सी वह राह जिसको मोड़ सकता हूँ नहीं मैं,
कौन सी दीवार जिसको तोड़ सकता हूँ नहीं मैं,
जूझ कर, मैं जिंदगी को आजमाना चाहता हूँ।

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

जिंदगी का हर सबक, हर उलझनें गीतों में ढाला,
चाह थी दुनियां में हो, इंशानियत का बोलबाला,
गीत अपने, साथ तेरे गुनगुनाना चाहता हूँ।

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

जिंदगी की सांस में है स्वर निराले प्रीत की,
इन दिनों मन द्वार पर, नव दस्तकें हैं जीत की,
बंधनों को तोड़, तेरे पास आना चाहता हूँ।

मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।

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