
मैं चमन का फूल हूँ, कुचला गया तो क्या हुआ,
हर तरफ फैली महक, मसला गया तो क्या हुआ।
‘जिंदगी है जंग’, मेरे रंग चढ़कर बोलती है,
मेरी हर इक साँस सारे चमन में रस घोलती है,
रौशनी हो या अँधेरा, मैं सदा खिलता रहा,
ग्रीष्म, वर्षा, शीत का अनुभव मुझे मिलता रहा।
देख लो संसार! तेरे देवता का हार हूँ,
मैं सजाता अर्थियों को, प्रेमियों का प्यार हूँ,
सोहता सबको हमारा रूप, मेरा रंग है,
जिंदगी जीने का मेरा ये अनोखा ढंग है।
मानता हूँ खो गयी सुषमा मगर कुछ गम नहीं,
कर लिया खुद को अमर बनकर महक, कुछ कम नहीं,
ना किया मैंने कभी भी भेद, सबसे प्यार है,
जिंदगी हँसकर जिया है, दर्द हर स्वीकार है।
था कभी अस्तित्व मेरा, स्वच्छ तन-मन और जीवन,
ना कभी मैंने सुनायी, उर व्यथा, मन भाव, क्रंदन,
मिट गया तो क्या हुआ, मैं मुस्कुराता जा रहा हूँ,
मैं कहानी प्यार की सबको सुनाता जा रहा हूँ।
मैं चमन का फूल हूँ, कुचला गया तो क्या हुआ,
हर तरफ फैली महक, मसला गया तो क्या हुआ।
वाह !!! बहुत खूब ..सुंदर रचना
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Very nice mr.shukla .
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धन्यवाद
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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Well said
Totally meaningful
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Creative thinking & also very meaningful….
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Motivational_lines✌✌
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Good one …!!!
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