
हम जलाएंगे दिए फिर आज उनको याद करके।
जो सदा निर्भीक रहकर, सरहदें अपनी संभालें,
मिट गए परवाह ना की, हो अँधेरे या उजाले,
खेलते होली, दीवाली का मुहूरत है अभी,
झेलते गोली, शहादत मांगती धरती जभी,
कर गए खुद को अमर, अपना वतन आबाद करके,
हम जलाएंगे दिए फिर आज उनको याद करके।
शब्द मेरे आज मेरा साथ क्योंकर छोड़ते हैं,
वाक्य मेरे गीत में ढलते नहीं, कुछ बोलते हैं,
‘कर सकेंगे हम भला क्या मान उनके शान की?’
पर याद रक्खेगा वतन गाथा महा बलिदान की,
अब चढ़ाएंगे सुमन हम आज ये फरियाद करके,
हम जलाएंगे दिए फिर आज उनको याद करके।
कहना मुझे इतना की बस, ‘जीवन-मरण सबका अटल,
पर देश की खातिर मरा वह प्राण है कितना विमल,
हे देश के प्रहरी सजग, तुम देश की आवाज हो,
हर हृदय की धड़कन बने, माँ भारती की नाज़ हो।’
तुम बने वह रौशनी जो घन तिमिर को मात कर दे,
हम जलाएंगे दिए फिर आज उनको याद करके।
तुम जा चुके हो छोड़कर, ऐसी निशानी राह में,
जिस पर चलेगी देश की पीढ़ी, नए उत्साह में,
माँ भारती के पुत्र तुम पर, इस वतन को नाज़ है,
‘तुमको नमन है देश का’, हर साँस की आवाज़ है।
हो चतुर्दिक रौशनी, तेरी अलौकिक ज्योति बनके,
हम जलाएंगे दिए फिर आज उनको याद करके।