
कारवाँ गुजर गया, तुम हताश हो गए।
कल तलक थी रौशनी, वक्त खुशगंवार था,
और सर चढ़ा हुआ, मौसमी खुमार था,
जोर से हवा चली, फूल सब बिखर गए,
लोग साथ चल रहे, जाने कब किधर गए,
जब चराग़ बुझ गए, तुम निराश हो गए?
कारवाँ गुजर गया, तुम हताश हो गए।
हर घड़ी तुम्हे सरल, पथ्य की तलाश थी,
मंजिलों से प्रेम था, जिंदगी से आश थी,
पर न रास्तों का सत्य, तुम कभी समझ सके,
जिंदगी गुजार दी, आदमी न बन सके,
अब जो मुश्किलें मिली, तुम उदास हो गए?
कारवाँ गुजर गया, तुम हताश हो गए।
पर अभी भी वक्त है, तुम अभी डरो नहीं,
मुश्किलों को देखकर, तुम अभी मरो नहीं,
हौसला समेट कर, तुम दहाड़कर उठो,
जिंदगी को जंग में, तुम पछाड़ कर उठो,
कदम लड़खड़ा गए, तुम निराश हो गए?
कारवाँ गुजर गया, तुम हताश हो गए।
वाह….
बेहतरीन रचना
सादर
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Heart touching lines
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