
जवानों की शहादत पर जो चुप्पी साधे हुए थे,
चंद नोटों पे मरा कोई तो, तूफ़ान खड़ा करते हैं।
अज़ीब कशमकश है फिर भी, इस देश के वाशी,
अपने ही आस्तीन में, कुछ सांप बड़ा करते हैं।
जब मुल्क के सिपाही सरहद पे डंटे हैं,
इस वक्त भी सियासी, आपस में लड़ा करते हैं।
अज़ीब मायने इस दौर की गूंगी तरक्की का,
गरीब के लिए सब, कानून कड़ा करते हैं।
कातिल बनें हुए हैं, इस देश में नेता,
रोटी चुराने वाले, जेलों में सड़ा करते हैं।
ऐ काश! समझ जाएं कश्मीर के नौजवान,
बहके हैं, दुश्मन के इशारे पे चढ़ा करते हैं।