
जिंदगी! मुझे जलालत का एहसास मत दे,
मौत दे-दे मगर उधार की साँस मत दे।
मेरे बेआबरू होने से तुझे क्या हाँसिल,
ज़ाम गर दे न सको, कम से कम प्यास मत दे।
लफ़्ज़ों में बयाँ करना, दुश्वार है कितना,
लुत्फ़ जो रास्तों में है, मंजिल की आश मत दे।
मेहनत से कमाया हुआ चिथड़ा कबूल है,
तेरी हराम की दौलत का, चमकता लिबास मत दे।
सबक तेरा मुझे गर समझ में आता तो ठीक था,
मेरा इम्तिहान न ले, फिजूल में त्रास मत दे।