
लफ़्ज जब दिल से निकलते हैं, ग़ज़ल होती है,
जब भी दो दिल कहीँ मिलते हैं, ग़ज़ल होती है।
जलने के इरादे से, जब शमा की ज़ानिब,
लाखों परवानें निकलते हैं, ग़ज़ल होती है।
लहज़े में नज़ाकत हो, हमराह जब कभी,
हाथ में हाथ दे चलते हैं, ग़ज़ल होती है।
जज़्बात की आँधी को सीनें में दबाकर,
जब भी दीवानें मचलतें हैं, ग़ज़ल होती है।
यादों के समंदर में, कहीँ डूबता कोई,
दिल में जब अक्स उभरतें हैं, ग़ज़ल होती है।
कोई मकसद में कामयाब न हो, जूझता रहे,
दिल में कुछ ख़्वाब जो पलतें हैं, ग़ज़ल होती है।
है दौड़ मंजिलों की तरफ, भागती दुनियां,
जब कभी पाँव फिसलते हैं, ग़ज़ल होती है।
कहीँ धोखा, कभी फरेब के मारे हुए इंसान,
लहू की आग में जलते हैं, ग़ज़ल होती है।
ज़िगर का ज़ख्म बयाँ करने की हिम्मत हो जहाँ पर,
घाव नासूर में ढलते हैं, ग़ज़ल होती है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ती।
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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Such a nice line
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