जयति वीणावादिनी जय, जयति माँ ज्योतिर्मयी,
मैं खड़ा करबद्ध होकर माँ, परम् ममतामयी।
चक्षु खोलो, देख लो, क्या-क्या जगत में हो रहा,
घन तिमिर में मुख छिपाकर, अब उजाला रो रहा,
ज्ञान है, पर ज्ञान का उपयोग करता कौन है,
जल रही है यह धरा, हर आदमी पर मौन है।
जब कोई चुनता कुपथ तब कौन समझाता यहाँ,
आदमी का आदमी दुश्मन हुआ जाता यहाँ,
और सत्पथ पर अगर चलता कोई जो देश में,
पंगु कर देते विरोधी, आज के परिवेश में।
कर कृपा, मन स्वच्छ हो सबका, सभी को बोध हो,
हर तरफ बस प्रेम हो, फिर ना कहीँ प्रतिशोध हो,
धर्म की बस कामना हो, देश-हित का भाव हो,
विश्व में हो शांति चारों ओर, ना भटकाव हो।
चेतना को शुद्ध कर दो माँ, महाकरुणामयी,
जयति वीणावादिनी जय, जयति माँ ज्योतिर्मयी।
Jayati Jayati ma jai sarsati jai veeda adni1974me knodiya school frukaabaad me hoti
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Fantastic creation
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