आज आँधी की बहुत संभावना है,
और मेरा छप्परों से घर बना है।
घाव देने की मुझे आदत नहीं है,
इसलिए हर आदमी से सामना है।
कुछ चरागों से धुँआ ज्यादा निकलता,
लग रहा है इनमें भी कुछ वेदना है।
आवरण बस प्यार का तुमने चढ़ाया,
है पता, तेरे हृदय में वासना है।
यह सियासत का सबक हो याद कैसे,
हर सबक है झूठ या परिकल्पना है।
यह सियासी पोटली खुल भी गयी तो,
भीड़ की खातिर यहाँ बस झुनझुना है।
कैश की किल्लत रहेगी और कुछ दिन,
यह प्रशासन की नयी उदघोषणा है।
तीर के बदले में हमने फूल बाँटे,
क्या करूँ, ये ही मेरी अवधारणा है।
इन दरख्तों की नहीं है जाति कोई,
इसलिए तो ये हमारी प्रेरणा हैं।
जब पते की बात कहता हूँ संभलकर,
लोग कहते हैं, हमारा बचपना है।
Fantastic
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