तुम्हारी लेखनी की जय – महाकवि हरिवंशराय बच्चन को समर्पित

​महाकवि हरिवंशराय बच्चन के जन्मदिवस पर विशेष

हमारी प्रेरणा के स्रोत तेरी लेखनी की जय,
तुम्हारी भावनामय दीप की उस रौशनी की जय।

तुम्हारी चेतना की आग से पत्थर पिघलता है,
तुम्हारे गीत से दिल में छुपा लावा उबलता है,
चमकते सूर्य सा जिसका हृदय, उस आदमी की जय,
हमारी प्रेरणा के स्रोत तेरी लेखनी की जय।

तुम्हारी आह, तेरी वेदना में है चमक जितनी,
हजारों गीत लिख डालूँ, नहीं फिर भी दमक उतनी,
जहाँ पैदा हुए कवि-श्रेष्ठ उस पावन जमीं की जय,
हमारी प्रेरणा के स्रोत तेरी लेखनी की जय।

तेरे पदचिन्ह ने आसान कर दी मुश्किलें मेरी,
दिखाई पड़ रही इस राह पर अब मंजिलें मेरी,
हमारे पथ-प्रदर्शक, तेरी आँखों की नमीं की जय,
हमारी प्रेरणा के स्रोत तेरी लेखनी की जय।

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