1-
मुझे ऐ दिल बता दे आज तू बेचैन सा क्यूँ है?
सजन की बाट कोई जोहती सी नैन सा क्यूँ है?
पढ़ा होगा वो ख़त उसने अगर उड़ती नज़र से भी,
तो पत्थर भी पिघल जायेगा, चलती ट्रेन सा क्यूँ है?
2-
गरीबों का अगर जीवन नहीं देखा तो क्या देखा,
कोई उजड़ा हुआ गुलशन नहीं देखा तो क्या देखा,
हक़ीक़त रूबरू होकर तुम्हें अनुभव दिलाएगी,
बिना घर का कोई आँगन नहीं देखा तो क्या देखा।