दुआओं में असर पैदा हुआ सा जा रहा है,
कोई कश्ती लिए मुझको बचाने आ रहा है।
हज़ारों मील के ये फासले कम हो रहे हैं,
कोई मंजिल की जानिब रौशनी फैला रहा है।
जिसे इस वक्त की ताकत का अंदाज़ा नहीं था,
वो देखो शख्स वह आँसू बहाता जा रहा है।
न कोई शख्सियत उसकी न कोई सोच ही है,
झुकाकर सर को हाँ में हाँ मिलाता जा रहा है।
बुरी आदत भी मेरी आज सबको जँच रही है,
हमारा वक्त भी आगे निकलता जा रहा है।
हमारे दिल से दबकर आह कोई चींखती है,
मेरे दिल में छुपा लावा पिघलता जा रहा है।
मुझे यह जिंदगी जितनी सिखाती जा रही है,
मेरे अल्फ़ाज़ का शोला भड़कता जा रहा है।
मेरी इस प्यास का कुछ इल्म सबको हो चला है,
जमाना अब मुझे पानी पिलानें आ रहा है।
मेरा ख़त पढ़ लिया है आज शायद शायरों ने,
मुझे भी शेर पढ़ने का बुलावा आ रहा है।
सुलगते दिल को शायद अब तसल्ली मिल रही है,
कोई राही हमारा गीत गाता जा रहा है।
bahut khoob likha aapne aap se anurodh hai ki aap hamare manch par aakar apni bahumulya pratikriya de……https://plus.google.com/communities/107250248448058217814/stream/3f2deebf-9073-4d9c-a7e9-4f2726605cf8
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