तीन मुक्तक
1-
अमीरों की जहाँ पर सल्तनत बर्बाद होती है,
गरीबों के लिए बेहद ख़ुशी की बात होती है,
जभी यह जिंदगी झकझोरती, बुनियाद हिलती है,
वही उठता है जिसकी रूह में औकात होती है।
2-
कहीँ पर दिन निकलता है, कहीँ पर रात होती है,
ख़ुशी के पल भी हैं, अफ़सोस की भी बात होती है,
बदलना सबको पड़ता, वक्त का ऐसा तकाज़ा है,
यहाँ मंजिल भी मिलती जब दुआएँ साथ होती हैं।
3-
गिरे जब वक्त की लाठी, नहीं आवाज़ होती है,
हर इक दिल में खुदाई फैसले की याद होती है,
कोई तूफ़ान जब भी कश्तियों की ओर बढ़ता है,
खुदा का नाम लेकर मिन्नते-फरियाद होती है।