हक़ीक़त क्यों छुपाते हो – मुक्तक संग्रह

नमस्कार मित्रों,

डॉ. कुमार विश्वास वर्तमान समय में हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में से एक हैं, और उनकी इस लोकप्रियता का श्रेय उनकी मुक्तक रचना ‘कोई दीवाना कहता है’ को जाता है जो उन्ही के मुक्त कंठ से जनता के बीच आयी और जनसाधारण की आवाज़ बन गई। और इस बात से आप भी सहमत होंगे कि आज वो उन लोगों की भी चर्चा के केंद्र हैं जिन्हें साहित्य में कोई विशेष अभिरुचि नहीं है।

जहाँ तक मैं समझता हूँ भारत में ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं हैं जो उचित मार्गदर्शन और अवसर के अभाव के कारण लोगों में अपनी पहचान बनानें में सफल नहीं हो पाती। और मैं भी उन बहुसंख्यकों में से एक हूँ।

आज मैंने अपनें ब्लॉग में कुल 15 मुक्तक प्रकाशित किये हैं और अपनें व्यक्तिगत अनुभव को आप लोगों के बीच रखा है।

मैं आप लोगोँ की तरफ से एक तुलनात्मक सुझाव की अपेक्षा करता हूँ की क्या मेरे ये मुक्तक छंद डॉ कुमार विश्वास की रचना की लोकप्रियता का कुछ अंश ग्रहण करने योग्य हैं?…

कृपया अपनें सुझावों से हमें अवगत कराएँ…

पाँच मुक्तक

1-
निगाहों से छलक जाती हक़ीक़त क्यों छुपाते हो,
मैं जितना पास आता हूँ तुम उतना दूर जाते हो,
कहीँ ऐसा न हो की सब्र का प्याला छलक जाए,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ, मुझे तुम आजमाते हो।

2-
कोई ऊँगली बढ़ा दे तो कलाई थाम लेते हो,
वफ़ा की बात करते हो दगा से काम लेते हो,
करो कुछ भी नहीं पर हक़ जताने की तेरी आदत,
हमेशा दूसरों के सर बड़ा इल्ज़ाम देते हो।

3-
कोई अफ़सोस की हो बात तो मुझसे बताते हो,
ख़ुशी के पल में अक्सर दूसरों को घर बुलाते हो,
निभाया खूब तुमने दोस्ती के फ़र्ज़ को ऐ दोस्त,
कभी मेरी नहीं सुनते, सदा अपनी सुनाते हो।

4-
मुझे पागल है कर डाला तेरी कातिल अदाओं ने,
बिखरती है तेरी खुशबू महक बनकर फ़िज़ाओं में,
तेरी आवाज़ मिसरी घोलती है कान में मेरे,
तेरी ये साँस भरती है, नयी मस्ती हवाओं में।

5-
हमारे दिल में कोई झांकता तो जान भी जाता,
छुपाई है तेरी सूरत, उसे पहचान भी जाता,
मगर फुर्शत किसे है बात सुनने की तेरी ‘कौशल’,
अगर दिल की वो सुन लेता तो शायद मान भी जाता।

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6 thoughts on “हक़ीक़त क्यों छुपाते हो – मुक्तक संग्रह

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