किरदार छोटा है – Selfishness affects the personality

​तीन मुक्तक

1-
बहुत ऊँची ईमारत है तेरी, किरदार छोटा है,
तुम्हें लोगों से क्या मतलब, तेरा व्यवहार छोटा है,
जुटा ली है करोङो की अगर दौलत चुरा करके,
तुम्हारी सोच छोटी है, दिल-ए-बाजार छोटा है।

2-
मैं घायल हूँ, मेरे जख्मों पे जो मरहम लगा देते,
अँधेरा है मेरे घर में, कोई दीपक जला देते,
अगर इंसानियत होती जरा सी यार तेरे में,
संभाला था तुझे गर्दिश में, थोड़ा हौसला देते।

3-
मेरे दिल में छुपा कोई मुझे आवाज़ देता है,
पकड़ता हूँ कलम जब भी, मुझे अल्फ़ाज़ देता है,
बयाँ करना बड़ा मुश्किल लगे मासूमियत इसकी,
मैं जब ग़ज़लें सुनाता हूँ, मुझे यह साज़ देता है।

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