मुश्किलों से था भरा, आसान जीवन हो चला है,
साथ तुम अब हो लिए, व्यवधान अब कम हो चला है।
जब कभी भी चांदनी फीकी पड़ी, खुद को जलाया,
आग थी मेरे हृदय में, रौशनी दुनियां ने पाया,
दीप से तेरे समूचा ज्ञान रोशन हो चला है,
साथ तुम अब हो लिए, व्यवधान अब कम हो चला है।
अनगिनत लू के थपेड़े झेलते थे फूल मेरे,
मूक बनकर देखता था, समय था प्रतिकूल मेरे,
फिर मेरा उजड़ा हुआ यह बाग मधुवन हो चला है,
साथ तुम अब हो लिए, व्यवधान अब कम हो चला है।
मैं अकेला भी रहा होता तो मैं चलता निरंतर,
हौसला मन में लिए मैं जूझता, लड़ता निरंतर,
तुम मिले, पर उग गए, उड़ने का अब मन हो चला है,
साथ तुम अब हो लिए, व्यवधान अब कम हो चला है।