तीन मुक्तक
1-
जो तेरे पास आता हूँ, निगाहें क्यों चुराते हो?
निगाहों को चुराकर के, मेरा दिल क्यों जलाते हो?
मेरा दिल लूटकर अनजान बनने की तेरी आदत,
तुम्हारे इश्क में मर जाऊँगा, क्यों आजमाते हो?
2-
अभी हद से गुजरती जा रही दीवानगी मेरी,
बदलती जा रही है प्यार में अब दोस्ती तेरी,
कहीं आगोश में भर लूँ नहीं जज़्बात में आकर,
न देखो तुम मुझे इस प्यार से, ऐ रागिनी मेरी।
3-
मेरे हालात पे आँसू बहाना छोड़ दे ऐ दिल,
ये है परदेश, सबसे दिल लगाना छोड़ दे ऐ दिल,
यहाँ सुखी हुई रोटी भी तुमसे छीन लेंगे वो,
घरों में गैर के चूल्हा जलाना छोड़ दे ऐ दिल।