घोंसले तो हैं मगर किस काम के,
जब परिंदे ही नहीं हैं पेड़ पर,
खेत ऊसर हो चुके हैं आज-कल,
पर हरी घांसें बहुत हैं मेड़ पर।
वक्त दे आवाज जब भी, देख लो,
अनसुना जो कर दिया, पछताओगे,
जिंदगी को ठीक से पहचान लो,
कह रहा हूँ, आदमी बन जाओगे।
बोझ सहने की जिसे आदत न हो,
क्या सहेगा जिंदगी के भार को,
खेलता जो जिंदगी को खेल सा,
उसका ही जीवन यहाँ साकार हो।
जूझने को जिंदगी कहते है हम,
जूझना जो छोड़ दे वह लाश है,
जिंदगी से जंग लड़ना लाज़िमी,
आदमी में यह हुनर कुछ खास है।
रहगुजर तुम मत तलाशो राह में,
रुक गए तो जिंदगी रुक जायेगी,
हौसला दिल में लिए आगे बढ़ो,
मंजिलें गुणगान तेरा गाएंगी।
बहुत सुन्दर।
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प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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Bahut khoob👍
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बहुत बहुत धन्यवाद शालिनी जी…
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Oooo fantastic
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thanks..
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