‘तुझे कैसे घर से विदा करूँ?’ एक विदाई गीत

​तू जो इतने दिल के करीब है, तुझे कैसे घर से विदा करूँ?
तेरे साथ बीते जो पल, उन्हें मैं कैसे दिल से जुदा करूँ?

तेरी बेवजह मुस्कान ने मुझको भी जीना सिखा दिया,
तेरी इक हँसी ने हँसा दिया, तेरे आंसुओं ने रुला दिया,
सरे-आम दिल न निकल पड़े, भगवान से ये दुआ करूँ,
तू जो इतने दिल के करीब है, तुझे कैसे घर से विदा करूँ?

मेरे चोंट पर मरहम लगाने की वो कहानी याद है,
मेरी जिंदगी की किताब में, तेरी निसानी याद है,
मालिक तुम्हारा करम रहे, यही आरजू मैं सदा करूँ,
तू जो इतने दिल के करीब है, तुझे कैसे घर से विदा करूँ?

छुटकी तेरी बदमाशियाँ मुझको बहुत याद आएंगी,
यादें जो दिल में कैद हैं, मुझको बहुत तड़पायेंगी,
इन्हें आ मैं दिल में ही घोंट दूँ, बापू का फ़र्ज़ अदा करूँ,
तू जो इतने दिल के करीब है, तुझे कैसे घर से विदा करूँ?

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