हम दीपक बनकर चमकेंगे – Do what you can

हम दीपक बनकर चमकेंगे
हम दीपक बनकर चमकेंगे

हम कवि हैं, कविता की निर्झर
धार हृदय से बहती है,
धाराओं की कल-कल निनाद
बस ‘जागो जागो’ कहती है।
.
कवि हृदय चाहता स्वाभिमान,
व् आदर्शों की रक्षा हो,
जन-जन में उपजे देश-भक्ति,
चहुंओर प्रेम हो, सच्चा हो।

जो नहीं भूलने दिया विश्व को
प्रेम, क्षमा, बलिदान, त्याग,
वह महालेखनी कवियों की,
जिसने दिखलाया सही मार्ग।

इतिहास गवाही देता है,
अपना अतीत समझाता है,
अन्याय व् शोषण के विरूद्ध,
कवि ही आवाज़ उठाता है।

क्षमताएं सबकी अलग-अलग
भाषा, विचार भी भिन्न-भिन्न,
पर एक कामना कवियों की,
मानवता न हो छिन्न-भिन्न।

भारत के दर्शन में कवित्त,
कविता दर्शन की मूर्त रूप,
उपनिषदों, वेद-पुराणों के
श्लोकों का है पावन स्वरूप।

जो ज्ञानयोग व् कर्मयोग,
‘गीता’ हमको सिखलाती है,
वह वेद व्यास की गाथा है,
जिसको दुनिया अपनाती है।

‘रामायण’ के ‘भगवान राम’,
पुरुषोत्तम माने जाते है,
वो वाल्मीकि की महाकथा
के कारण पूजे जाते हैं।

गोस्वामी तुलसीदास राम को,
घर-घर तक पहुंचाते हैं,
फिर प्रेम, भक्ति, तप, त्याग,
मनोबल की महिमा बतलाते हैं।

दुर्गा माता की सप्तसती,
श्लोकों में लिखी जाती है,
जो स्वयं प्रेम-परिभाषा है,
मीराबाई कहलाती है।

वह देखो ‘दिनकर’ की किरणें,
जो ‘रश्मिरथी’ से आती हैं,
‘हुंकार’ , ‘रेणुका’ , रचनाएँ
जन-जन में अलख जगातीं हैं।

‘बच्चन’ की मधुशाला हमको,
इक नए लोक ले जाती है,
क्षमता, समता, आदर्शों का
हमसब को बोध कराती है।

हम भी ‘उनके’ अनुयायी हैं,
‘उनके’ प्रकाश से ओत-प्रोत,
हम अनुगामी उन पावों के,
‘उनकी’ रचनाएँ सृजन-स्रोत।

सूरज बनना तो मुश्किल है,
हम दीपक बनकर चमकेंगे,
थोड़ा प्रकाश भी कर पाए,
सौभाग्य हमारा समझेंगे।

Advertisement

4 thoughts on “हम दीपक बनकर चमकेंगे – Do what you can

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s