शारदे माँ! सुन मेरी विनती, मेरे मनुहार को,
छेड़कर वीणा तू कर, झंकृत हृदय-संसार को।
दूर चरणों से किया, हमसे हुई क्या भूल है,
कंठ कुंठित, लेखनी अवरुद्ध, दिल मे शूल है,
अब समझ पाता नहीं मैं वेदना के सार को,
शारदे माँ! सुन मेरी विनती, मेरे मनुहार को,
कर नहीं पाता हूँ मैं तेरा मधुर गुणगान माँ,
शब्द आते ही नहीं हैं अब हृदय के द्वार माँ,
कर कृपा, अर्पित करूँ, नैवेद्य तेरे हार को,
शारदे माँ! सुन मेरी विनती, मेरे मनुहार को,
छंद ताने दे कलेजा बेधते पल-पल,
कर कृपा मुझपर, सृजन सरिता बहे अविरल,
हो नहीं अवरुद्ध, निर्मल तुम बना दे धार को,
शारदे माँ! सुन मेरी विनती, मेरे मनुहार को।