यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी – एक गीत – You need someone

यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी
हो तेरी कहानी या मेरी कहानी

कोई भी न जानें मुकद्दर में क्या है
यहाँ आदमी इक खिलौना बना है
नहीं मंजिलों की खबर है किसी को,
ये राहें दिखाती हैं आँखे सभी को
मगर फिर भी इंसान रुकता कहाँ है
भले कल की बातें न उसको पता है

कहीं भागते ही न बीते जवानी
यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी

सफ़र की थकन को न तुम इतना झेलो,
जरा सब्र से चैन की सांस ले लो,
लगा ही रहेगा ये गिरना-सम्भलना
जरा सोचकर फिर से आगे निकलना
मेरी मंजिलें भी तुम्हीं से जुड़ी हैं
तेरी हमसफर तेरे पीछे खड़ी है

हैं पावों में छाले, इन आंखों में पानी
यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी

ये लहरें कहाँ तक सहारा बनेंगी,
बिना पाल के नाव कब तक चलेगी,
ये तूफ़ान होंगे, वो मझधार होगा
समंदर अकेले नहीं पार होगा
कभी तुमको पतवार खेनी पड़ेगी
मुझे साथ ले लो जरूरत पड़ेगी

ये आवाज़ देती तुम्हारी दीवानी
यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी

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6 thoughts on “यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी – एक गीत – You need someone

    1. Each n every words are well coordinated……..
      Specially, कोई भी न जानें मुकद्दर में क्या है
      यहाँ आदमी इक खिलौना बना है
      Wonderful job ………

      Liked by 1 person

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