मुझे अपने दिल को मनाना पड़ेगा
तुम्हे भूलकर गुनगुनाना पड़ेगा
मुझे रास आने लगा है अंधेरा,
जमाने से मुझको छुपाना पड़ेगा
कहीं लोग समझे न मैं गुमशुदा हूँ
दिया अपने घर मे जलाना पड़ेगा
कहीं मेरे अरमां बगावत न कर दें
इन्हें दिल में जबरन दबाना पड़ेगा
जमाने के हाथों कहीं लग न जाए
तुम्हारे खतों को हटाना पड़ेगा
बुरे वक्त में कौन मुझे साथ देगा
यही वक्त है, आजमाना पड़ेगा
कमी क्या थी मुझमें, न मुझसे जताया
ख़ुदा से तुम्हे सब बताना पड़ेगा