प्यास की फिक्र तो कर, मुझसे मेरा जाम न ले
इतना बेदर्द न बन, बेरुखी से काम न ले
जरा सा हाथ लगा, गिर पड़ा तेरा गमला
बात छोटी सी है, तू मुझसे इंतकाम न ले
इस गम-ए-हिज़्र को बनने दे तू मेरा कातिल,
मुझपे मत तीर चला, सर पे ये इल्ज़ाम न ले
तुझसे खुशियां कोई अमीर मोल ले लेगा
दर्द बेशक दे मुझे, मुझसे कोई दाम न ले
लोग बेबात की ही बात बना लें न कहीं
अपने होठों से बेवक्त मेरा नाम न ले
वाकई बेहिसाब इश्क़ से भरा है ये ग़ज़ल
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बेहद खूबसूरत है आपकी सभी गज़लें।लाज़वाब।
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Dhanyavad..
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You are welcome🌷
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👌👌
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