यूँ सुराही दिखाने से क्या फायदा
प्यास मेरी बढ़ाने से क्या फायदा
जिनकी घुंटों में कुछ भी नशा ही नहीं
जाम पीने-पिलाने से क्या फायदा।
सबको मालूम है तुम अदाकार हो
तेरे अश्कों की कीमत कहीं और है
बेवजह यूँ रुआँसे दिखा मत करो
ऐसी सूरत बनाने से क्या फायदा।
खूबसूरत हूँ मैं, रोज़ कहते हैं वो
दिल की ज़ानिब कभी उसने देखा नहीं
आज मैं हूँ तो कल फिर कोई और है
यूँ मोहब्ब्त जताने से क्या फायदा।
जब मेरा वक्त था मेरे पहलू में थे
दिन बदलते ही वो भी बदलने लगे
मेरे जज़्बात का कुछ असर ही नहीं
चीरकर दिल दिखाने से क्या फायदा।
देखना हो जिसे शौक से देख ले
अब तलक दिल खुला ही रहा है मेरा
मेरी ग़ज़लों में मेरी कहानी छुपी
हाल-ए-दिल अब छुपाने से क्या फायदा।