सही समय पर ठोकर खाकर तुमसे जो अपमान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
जब तक तुमसे थीं आशाएं
तब तक पथ पर थीं बाधाएं
लेकिन तेरी घृणा रूप में ईश्वर का वरदान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
तुम पर अपना प्यार चढ़ाया
अंतर का उद्गार चढ़ाया
मेरी पूजा के बदले में बस मुझको व्यवधान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
हर पल तेरे आगे पीछे
दौड़ रहा था आँखे मीचे
पशुवत जीवन त्याग चुका निज-गौरव को अभिमान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
जब से तुमने है ठुकराया
मैंने नूतन मार्ग बनाया
बिना पंख ही उड़ता हूँ अब मुझको नया विमान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
जिन गीतों से प्यार मुझे था
छंदों पर अधिकार मुझे था
खोई-खोई थीं अंतर में कविताओं को गान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
थी कमान पर लक्ष्यहीन थी
दुविधा से आँखे मलीन थीं
तरकस में बेकार पड़े इन तीरों को संधान मिला है।
मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
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wawww.its completely nonpareil. your words and the lyrics you put in your poems have a magic..i used 2 read your every single poem..i just love the way you write.eagerly waiting for the next poetry☺️
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Thanks for the complement. Soon you will find the next one.
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