वीर के स्वभाव में मिली हो जब उदारता।
उसी महाविभूति को जहान है दुलारता।।
दिवावसान हो गया सफर में रात ढल गयी
कराल काल आ गया तो जिंदगी बदल गयी
मगर घने अंधेर में जो रौंद शूल बढ़ गया
समस्त विश्व के लिए नई मिसाल गढ़ गया
बढ़े प्रवाह के विरुद्ध हाथ-पाँव मारता।
उसी महाविभूति को जहान है दुलारता।।
समर में हारकर भी जो अडिग पहाड़ सा हृदय
हजार मुश्किलों को झेल दीन पर रहा सदय
मनुष्य फूल की तरह सुगंध बाँटता चले
मसाल हाथ में लिए जो धुंध छाँटता चले
कठिन समय में पददलित समाज को उबारता।
उसी महाविभूति को जहान है दुलारता।।
विजय का स्वप्न आँख में मगर नियति से डर गए
है सत्य सांस चल रही मगर वो व्यक्ति मर गए
जो दुश्मनों की भीड़ में भी सिंह सा दहाड़ता
वो जिन्दगी को जंग में अवश्य ही पछाड़ता
जो नाम कर गया अमर कहो कहाँ वो हारता।
उसी महाविभूति को जहान है दुलारता।।
Bahut khoob
So inspiring….
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