चाहता व्यापार कोई।
प्यार कोई।।
मांग क्यों होती सुधा की
चोंट खा भीषण छुधा की
छीनता आहार कोई।
प्यार कोई।।
रिक्त हो उर-भावना से
क्रूरता से, यातना से
जीतता संसार कोई।
प्यार कोई।।
धैर्य देखो खो रहा है
बोझ फिर भी ढो रहा है
रंक का परिवार कोई।
प्यार कोई।।
बस तुझे अपनी पड़ी है
बस इसी कारण खड़ी है
बीच में दीवार कोई।
प्यार कोई।।
आत्मबल का ले सहारा
प्राप्त करता है किनारा
तैरकर मझधार कोई।
प्यार कोई।।
एक युग के बाद फिर से
आ गया है याद फिर से
बचपने का यार कोई।
प्यार कोई।।
देख जग की वेदनाएं
झेलता है यातनाएं
आज रचनाकार कोई।
प्यार कोई।।
जोश मुझमें भर गया है
या हृदय में कर गया है
रक्त का संचार कोई।
प्यार कोई।।