मैं छड़ी हूँ – Stick’s Experience

चार बेटे छोड़ माँ को जा चुके हैं। या पतन का रास्ता अपना चुके हैं।। कह रही 'वह' आज रिश्तों को 'पहेली'। देख! घर में एक बूढी माँ अकेली।। भार लेकर उस अभागन की खड़ी हूँ। मैं छड़ी हूँ।।

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बिन मेरे श्रृंगार कैसा – Break-up

कल तुम्हारा वन हरा था झूमतीं आयीं बहारें आ गया सावन सुहाना साथ ले रिमझिम फुहारें आज जब पतझड़ मिला है सत्य से प्रतिकार कैसा? माँग का सिंदूर हूँ मैं बिन मेरे श्रृंगार कैसा?

मैं बादल मेरा मुख मलीन – Cloud’s Pain

कैसे कह दूँ अस्तित्व नहीं अपने पर ही स्वामित्व नहीं हर रोज थपेड़े खाना है झोंकों के पाँव दबाना है मेरा गौरव भिक्षा मांगे पवनों की इच्छा के आगे बस यही बात तड़पाती है घनघोर निराशा लाती है जग में कोई मुझसा न दीन। मैं बादल मेरा मुख मलीन।।

विचार के धनी मनुष्य – The World Loves Creation

न पूछ रात-रात भर यूँ जाग करके क्या मिला किसी को रौशनी मिली किसी को हौसला मिला जो सींच भाव की जमीन स्वप्न बीज बो गया ऊगा के प्रेरणा का पेड़ अंतरिक्ष हो गया जो छोड़ कर अमिट निशान व्योम में सिधारता। विचार के धनी मनुष्य को जहाँ दुलारता।।

काँटे का स्वाभिमान – गीत – Thorn’s Attitude

फूलों को समझा कर हारा रंग रूप पर मत इतराना सब तुमसे मतलब साधेंगे पड़े न तुमको अश्रु बहाना स्वाभिमान के हेतु धरा पर कुछ कठोरता भी अपनाओ छोटा सा कांटा हूँ तो क्या मत मुझको तुम पैर लगाओ।।