हमारे देश की सबसे बड़ी विडंबना कॉर्पोरेट कार्यालयों में देखने को मिलती है जहाँ ज्ञान का मापक यंत्र अंग्रेजी भाषा है। अगर साक्षात्कार में साक्षात माता सरस्वती भी विराजमान हों तो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोले बिना चयनित नहीं हो सकतीं...
My Thoughts
छंदबद्ध कविता लिखने के आसान नुस्खे- Learn to compose rhymed poetry in five simple steps
काव्य सृजन कवि की गरिमा है, और इस सृजन से कवि पूर्णता का अनुभव करता है। लेकिन कभी-कभी उचित भाव पैदा नहीं होते और कवि हृदय कुंठित होकर बेफजूल और अपने स्तर से काफी नीचे की कविताओं को गढ़ना शुरू कर देेता है। ऐसी परिस्थिति में लयबद्धता कभी- कभी रामबाण सिद्ध होती है क्योंकि एक लय बन जाने के बाद भावसृजन की तीव्रता बढ़ जाती है, यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है जिसे मैं आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। आगे बढ़ने से पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि यह लेख नवोदित कवियों को ध्यान में रखकर उनतक अपना व्यक्तिगत अनुभव पहुचाने के उद्देश्य से लिखा गया है। कविता का सृजन दो तरह से होता है- 1- भाव सृजन के बाद सुन्दर शब्द, रस, छंद और अलंकार जैसी काव्यात्मक कलाओं के माध्यम से भाव पक्ष को मजबूत करना। 2- सुन्दर लय पैदा करके उसपर भावसृजन करते जाना। इसमें प्रथम प्रकार को हम प्राकृतिक कह सकते हैं, जो किसी परिस्थिति विशेष में कवि हृदय से सृजित होता है, और छंद स्वयं भावों का अनुशरण करने लगते हैं। काव्यसृजन का दूसरा प्रकार कुछ अलग है और हमारे अन्वेषण का केंद्र भी यही है। यदि आप कवि हैं तो भाव सृजन प्राकृतिक रूप से होना चाहिए और अगर नहीं होता है तो निम्नलिखित तरीके से एक बार प्रयास करके देखिए। छंदबद्ध कविता लिखने के पाँच चरण-
दोस्ती – Friendship
जो है लेकिन नहीं के बराबर है तो जो नहीं है उसे ढूंढना ही पड़ता है, और कहते हैं ढूंढने से भगवान भी मिल जाता है, सच्चा दोस्त तो फिर भी इंसान है। लेकिन शर्त यह है की सच्चाई अपने भीतर भी हो। दोस्ती भी सिक्के की तरह है जिसमे चित और पट दोनों का होना आवश्यक है नहीं तो यह सिक्का खोटा कहलाता है।
How To Write The Touching Resignation Mail At Corporate Organization

What an achievement ! A common lad of a small village comes to the metro city Mumbai without holding any experience, an art graduate with average 50% marks in all the academics, becomes an accountant in a corporate organization, without knowing abcd of this subject but the staying is more important than joining specially in a growing corporate office where competition is so high, the queue of talent is good enough to make the new comer upset...
‘मनुष्य: पृथ्वी का सबसे बड़ा खतरा – Earth’s Danger Begins Now-Who Is Responsible?’

यदि मानव समाज सजग और एकजुट होकर सक्रिय कदम उठाए तो क्या संभव नहीं है। पहल तो करनी ही होगी। विकास होना आवश्यक है लेकिन पृथ्वी के विनाश की शर्त पर नहीं। पृथ्वी है तो जीवन है और जीवन है तो मानव समाज और अन्य जीव। मनुष्य विवेकशील है अतः अपने विवेक का प्रयोग मानव समाज को पृथ्वी के बचाव की दिशा में करना ही पड़ेगा नहीं तो कुछ भी बचना संभव नहीं है और लाखों वर्षों की कठोर तपस्या के बाद सभ्य बना मानव अपनी असभ्यता के कारण थोड़े ही समय में राख के ढेर में तब्दील हो जायेगा।
India’s ‘Surgical Strike’-Some facts of a major Indo-Pak event.

इस प्रकार वैश्विक दबाव में आकर शरीफ ने शराफत दिखाई और अपने सैनिकों को वापस आने का आदेश दे दिया लेकिन इस फैसले का खामियाजा ये हुआ की उन्हें पाक सेना की नाराजगी झेलनी पड़ी। उन्हें न सिर्फ अपने ओहदे से हाथ धोना पड़ा बल्कि अपने ही घर में नजरबन्द कर दिए गए। जनरल परवेज मुसर्रफ ने मौके का फाएदा उठाया और सेनाध्यक्ष से राष्ट्राध्यक्ष बन गए और पाकिस्तान से जमहूरियत का सफाया कर दिया। बागी अफसरों का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और नवाज को अपनी जान बचाने के लिए सऊदी अरब की शरण लेनी पड़ी।
‘मानव जीवन का उद्देश्य – The Secret Of Human Life’

यह बड़ी अजीब बात है कि लोगों के सोच और उनके कर्म में कितना अंतर होता है। वहीँ यह बात भी सर्वमान्य है की कर्म सोच का ही परिमार्जित रूप होता है। फिर इस दोहरे मानदंड का अर्थ क्या है? ऐसी कौन सी अवस्थाएं हैं जो लोगों को उनके उद्देश्य से भटका देतीं हैं, अंतरात्मा की आवाज़ को दबा देतीं हैं? इस बात को स्पष्ट करने के लिए मानव जीवन का एक सुक्ष्म विश्लेषण आवश्यक है।