आज मेरी सोच अपनी है, नया अस्तित्व मेरा, अब निखरता जा रहा है पुष्प सा व्यक्तित्व मेरा, ज्ञान की इस रौशनी से हृदय जगमग हो रहा है, स्वयं को जब पा लिया उड़ने का मन अब हो रहा है। ठोकरें दी लाख पर आधार सुन्दर दे गया है, जा रहा यह साल पर उपहार सुन्दर दे गया है।
नए साल पर हिन्दी कविता
‘बीता एक बरस जीवन’ A Poem On New Year Eve

क्या पाया ,क्या खोया हमने, कितने स्वप्न संजोया हमने, कठिन बहुत सब अर्जित करने, असफल हो पछतावा करने, से अच्छा है कुछ ही खुशियों से महके अपना आंगन। बीता एक बरस जीवन।