मांग क्यों होती सुधा की चोंट खा भीषण छुधा की छीनता आहार कोई। प्यार कोई।।
प्यार कोई – Avoid Dangerous Love

मांग क्यों होती सुधा की चोंट खा भीषण छुधा की छीनता आहार कोई। प्यार कोई।।
रश्मि-रंजित धवल तन पर रेशमी परिधान तेरा ये मधुर मुस्कान तेरी फिर सुरीला गान तेरा लग रहा है दैव ने है स्वर्ग से तुमको उतारा। आज मन चंचल हुआ कुछ इस तरह तुमने निहारा।।
मुस्कान तुम्हारी कातिल है, नागिन जुल्फें लहरातीं हैं, बस एक झलक ही काफी है, सम्मोहित सी कर जाती है। यदि मैं आपा खो बैठूं फिर अंजाम तुम्हारे सर होगा, मुझको दीवाना करने का इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा।
अतएव जिरह पर लोगों के मैं अक्सर ऐसा कहता हूँ, 'मां सरस्वती का साधक हूँ, उनकी ही सेवा करता हूँ, उस महामयी की महिमा के प्रतिफल हैं सारे गीत मेरे, वो मधुर चेतना भरतीं हैं, इन गीतों में संगीत मेरे।' पर हुए मंजुरित, फल आए, तुमसे ही मेरे साखों में, तेरा चेहरा तस्वीर बना प्रतिबिम्बित मेरी आँखों में।
जो तेरे पास आता हूँ, निगाहें क्यों चुराते हो, निगाहों को चुराकर के, मेरा दिल क्यों जलाते हो, मेरा दिल लूटकर अनजान बनने की तेरी आदत, तुम्हारे इश्क में मर जाऊँगा, क्यों आजमाते हो?
बड़ी खामोशियों से मैं इबारत दिल में लिखता हूँ, तुम्हारा प्यार है मेरी इबादत, दिल में रखता हूँ, बहुत ही खूबसूरत हुस्न है तेरा मगर फिर भी, दीवाना सादगी का हूँ, शराफत दिल में रखता हूँ।