एक बात तुमको बतला दूँ कह दो तो मैं गाँठ लगा दूँ तेरे कारण दुनियाँ छोड़ूँ मुझको यह अधिकार नहीं है। झट से कह दो प्यार नहीं है।।
झट से कह दो प्यार नहीं है – गीत

एक बात तुमको बतला दूँ कह दो तो मैं गाँठ लगा दूँ तेरे कारण दुनियाँ छोड़ूँ मुझको यह अधिकार नहीं है। झट से कह दो प्यार नहीं है।।
रश्मि-रंजित धवल तन पर रेशमी परिधान तेरा ये मधुर मुस्कान तेरी फिर सुरीला गान तेरा लग रहा है दैव ने है स्वर्ग से तुमको उतारा। आज मन चंचल हुआ कुछ इस तरह तुमने निहारा।।
थी कमान पर लक्ष्यहीन थी दुविधा से आँखे मलीन थीं तरकस में बेकार पड़े इन तीरों को संधान मिला है। मुझको अद्भुत ज्ञान मिला है।।
जिंदगी के रास्तों पर सैकडों दुश्वारियां हैं मुश्किलों से जूझने की क्या तेरी तैयारियाँ हैं पथ जरा समतल मिला तुम भूल बैठे कंटकों को लक्ष्य को पाने से पहले लाख जिम्मेदारियां हैं धैर्य खोकर चाहते हो भाग्य का चमके सितारा। रेत पर पदचिह्न तेरे और सागर का किनारा।।
मातृभूमि का कर्ज चढ़ा था उसको आज उतार चला तेरा साथ न दे पाया हूँ अब ये कर्ज़ उधार रहा बाकी है जो भी हिसाब सब अगले जन्म में कर लेना मैं कतरा-कतरा टपकूंगा, तुम अंजलि में भर लेना।
वादे झूठे, कसमें झूठीं, झूठा प्रेम निभाया फिर भी न जानें, क्यों नहीं माने, ऐसा दिल भरमाया दिल की बातें, दिल ही जाने, कौन इसे समझाए जीवन-पथ पर, धीरे-धीरे, राही पाँव बढ़ाए
अपने घर में ही नया स्वर्ग बना रखा है मैंने मां-बाप को मंदिर में बिठा रखा है
कोई भी न जानें मुकद्दर में क्या है यहाँ आदमी इक खिलौना बना है नहीं मंजिलों की खबर है किसी को, ये राहें दिखाती हैं आँखे सभी को मगर फिर भी इंसान रुकता कहाँ है भले कल की बातें न उसको पता है कहीं भागते ही न बीते जवानी यही फ़लसफ़ा है, यही जिंदगानी
नौजवानों! देश की सूरत बदलनी चाहिए, यह जवानी आग है तो, आग जलनी चाहिए। दौलत-ए-शोहरत के दीवाने सभी तो हैं मगर, दिलों में इंसानियत की सोच पलनी चाहिए।
कवि की आग कोई घर नहीं, शमां जलाती है। जो कोई ख्वाब हो सोया, कलम उसको जगाती है, कोई जब साँस लेता है, हवाएँ चलनें लगतीं हैं, मैं जब भी आह भरता हूँ, मजा दुनियां उठाती है।