चार बेटे छोड़ माँ को जा चुके हैं। या पतन का रास्ता अपना चुके हैं।। कह रही 'वह' आज रिश्तों को 'पहेली'। देख! घर में एक बूढी माँ अकेली।। भार लेकर उस अभागन की खड़ी हूँ। मैं छड़ी हूँ।।
मैं छड़ी हूँ – Stick’s Experience

चार बेटे छोड़ माँ को जा चुके हैं। या पतन का रास्ता अपना चुके हैं।। कह रही 'वह' आज रिश्तों को 'पहेली'। देख! घर में एक बूढी माँ अकेली।। भार लेकर उस अभागन की खड़ी हूँ। मैं छड़ी हूँ।।
जब भी गीत सुनाना चाहूँ मन की बात बताना चाहूँ बुलबुल टोक मुझे देती है गाकर कोई मधुर तराना। मैं कौवा, मुझको भी गाना।।
एक बात तुमको बतला दूँ कह दो तो मैं गाँठ लगा दूँ तेरे कारण दुनियाँ छोड़ूँ मुझको यह अधिकार नहीं है। झट से कह दो प्यार नहीं है।।