यूँ सुराही दिखाने से क्या फायदा – ग़ज़ल

यूँ सुराही दिखाने से क्या फायदा प्यास मेरी बढ़ाने से क्या फायदा तेरी बोतल कुछ भी नशा ही नहीं जाम पीने-पिलाने से क्या फायदा।

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​दिलों में झाँकता, जमीर टटोलता कोई – See the heart’s beauty, not only face

दिलों में झाँकता, जमीर टटोलता कोई, 'बड़ा ही खूबसूरत है' ये बोलता कोई। जिसे भी देखिए चेहरे पे फ़िदा हो जाता, हुस्न की भीतरी परतें भी खोलता कोई।

बाज़ार में अश्कों की कीमत तो देखिए – कलाम-ए-शायर

​है मुफ़लिसी का दौर पर हिम्मत तो देखिए, इस शायर-ए-फनकार की मोहब्बत तो देखिए। बिन पंख के ही उड़ने को बेताब किस कदर, नादान परिंदे की हसरत तो देखिए।

अपने ठिकाने आ गए – ‘कलाम-ए-शायर’ – The experience speaks

खुद के जख्मों की नहीं परवाह, हम भी सिरफिरे, दुसरे के घाव पर मरहम लगाने आ गए। इस कदर मशगूल थे, यह जिंदगानी का सफ़र, कुछ पता ही ना चला, अपने ठिकाने आ गए।