तुम्हें याद है मंदिर में जब, हम पहली बार मिले थे तुमनें पलकें थीं झुकाई, अधरों पर फूल खिले थे बस एक झलक ने छेड़ी थी, मेरे दिल का इकतारा मेरे दिल का इकतारा
मुझपर अधिकार तुम्हारा – एक प्रेमगीत

तुम्हें याद है मंदिर में जब, हम पहली बार मिले थे तुमनें पलकें थीं झुकाई, अधरों पर फूल खिले थे बस एक झलक ने छेड़ी थी, मेरे दिल का इकतारा मेरे दिल का इकतारा
मुस्कान तुम्हारी कातिल है, नागिन जुल्फें लहरातीं हैं, बस एक झलक ही काफी है, सम्मोहित सी कर जाती है। यदि मैं आपा खो बैठूं फिर अंजाम तुम्हारे सर होगा, मुझको दीवाना करने का इल्ज़ाम तुम्हारे सर होगा।
O love! Today is the time, the opportunity has been created, To share our feelings without being hesitated, The things never came to your lips, by any way, I wait here, You should say.
चार दिन की चांदनी में, दो दिवस ऐसा निकालो, है तमन्ना तुम मुझे कुछ, स्नेह दे दो, स्नेह पा लो, खो न जाए ये उजाला, फिर अँधेरे में सफ़र हो, चार दिन की जिंदगी है, मैं यहाँ हूँ, तुम किधर हो?