किरण चली दुलारने, नए नए विहान को खगों की झुंड उड़ चली, विशाल आसमान को पुकारने लगा विहान, बाग दे रहा समय उठो तुम्हे है जागना, कि सूर्य हो गया उदय
प्रभात-सौंदर्य – Morning Beauty

किरण चली दुलारने, नए नए विहान को खगों की झुंड उड़ चली, विशाल आसमान को पुकारने लगा विहान, बाग दे रहा समय उठो तुम्हे है जागना, कि सूर्य हो गया उदय
माना मैं चलने वाला हूँ, संग तेरे दौड़ नहीं सकता, अपने जज़्बाती गीतों को सिक्कों से तौल नहीं सकता, मैं न भी रहा, ये गीत फिजाओं में घुलकर रह जाएंगे, ये तान तुम्हारे कानों से जिस दिन भी टकरा जाएंगे, मुझको ठुकराया था तूने, 'उस' गलती पर पछताएगी, वो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी...
क्या मौन-विवश रहना, वीरोचित स्वाभिमान कहलाता है? मैं कहता हूँ यह सहज मार्ग बस कायर ही अपनाता है।
डूब रहा था दरिया में, कोई भी तिनका पास नहीं था। लिए हौसला दिल में अपने, साहिल को मैं देख रहा था, 'काम बहुत है बाकी अब भी' हाथ-पांव मैं फेंक रहा था, तट की ज़ानिब तैर रहा था, लहरों का भी साथ नहीं था, डूब रहा था दरिया में, कोई भी तिनका पास नहीं … Continue reading कोई भी तिनका पास नहीं था – You’ve enough power to solve issues
मैं हंसीन ख्वाब ले के आ गया शहर मगर, बात अपनी कह सकूँ, मैं फिर रहा इधर-उधर, पर किसे है वक्त जो मुझे भी वक्त दे सके, मुझे सलाह दे सके, मेरी सलाह ले सके, अब मुझे मेरा हंसीन गांव है पुकारता, शिशु सदृश हृदय मेरा, कोई नहीं दुलारता।
व्यथित हृदय की बात न पूछो, कौन हमारे साथ, न पूछो, शमा जला दी पर ना पहुंचे, मेरे दीपक तक परवानें, बहुत बुन चुके ताने-बाने।
मानव हो तो मानवता का कुछ ज्ञान जुटा लो जीवन में, जांचो-परखो, अनुमान लगा लो, कितना सुख इस बंधन में, अधिकार तुम्हारे जायज पर, कर्तव्यों से मत टलना सीखो, आसमान पर उड़ने वाले, धरती पर भी चलना सीखो।
घोंसले तो हैं मगर किस काम के, जब परिंदे ही नहीं हैं पेड़ पर, खेत ऊसर हो चुके हैं आज-कल, पर हरी घांसें बहुत हैं मेड़ पर। वक्त दे आवाज जब भी, देख लो, अनसुना जो कर दिया, पछताओगे, जिंदगी को ठीक से पहचान लो, कह रहा हूँ, आदमी बन जाओगे।
मैं चमन का फूल हूँ, कुचला गया तो क्या हुआ, हर तरफ फैली महक, मसला गया तो क्या हुआ। 'जिंदगी है जंग', मेरे रंग चढ़कर बोलती है, मेरी हर इक साँस सारे चमन में रस घोलती है, रौशनी हो या अँधेरा, मैं सदा खिलता रहा, ग्रीष्म, वर्षा, शीत का अनुभव मुझे मिलता रहा।
जिंदगी का हर सबक, हर उलझनें गीतों में ढाला, चाह थी दुनियां में हो, इंशानियत का बोलबाला, गीत अपने, साथ तेरे गुनगुनाना चाहता हूँ। मैं तुम्हे अपनी सुनाना चाहता हूँ।