कविताएँ लिखता जाता हूँ – Poets Are Prophets

जब-जब अंतर अकुलाता है भावों की धार बहाता है मैं निज छंदों से सींच-सींच स्वप्नों की फसल उगाता हूँ। कविताएँ लिखता जाता हूँ।।

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​दिलों में झाँकता, जमीर टटोलता कोई – See the heart’s beauty, not only face

दिलों में झाँकता, जमीर टटोलता कोई, 'बड़ा ही खूबसूरत है' ये बोलता कोई। जिसे भी देखिए चेहरे पे फ़िदा हो जाता, हुस्न की भीतरी परतें भी खोलता कोई।

बस करो, इंसानियत की हद हुई – अति सर्वत्र वर्जयेत्

दर्दे-दिल बर्दाश्त की तो हद हुई, चुप रहूँ कैसे मैं अब तो हद हुई। तेरी ज़ानिब और कोई देखता, और मैं हूँ शांत ये तो हद हुई। जेब में सिक्का न हो, मैं दावते दूँ? बस करो, इंसानियत की हद हुई।